बरकाते शरीअत पोस्ट -020
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله
🔹ﷺ
इस सवाल का उलमा ने यह जवाब दिया है कि यह तमाम इबादात गुनाहों का कफ़्फ़ारा होने की सलाहियत रखती है अगर उसके सगीरा गुनाह हों तो इनसे मगफिरत हो जाती है और अगर उसके सगीरा और कबीरा गुनाह न हों तो उसकी नेकियां लिख दी जाती है और उसके दरजात बुलंद कर दिये जाते है और अगर सगाइर न हो और कबाइर हों तो उम्मीद है कि उसके कबाइर में तख़फ़ीफ़ हो जाए।
(📚 शहरे मुस्लिम शरीफ : 1/ 878)
लिहाजा हमें भी अच्छी तरह वुजू करना और हमेशा बावुजू रहने की कोशिश करनी चाहिये ताकि इसके जरिये हमें बेशुमार फ़ज़ाइल व फवाइद हासिल हो सकें।
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुननेसे ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.93
अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
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👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 12
🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله
🔹ﷺ
👇🏽हुजूर का वुजू पार्ट-2👇🏽
अल्लामा यहया बिन शर्फ़ नववी लिखते है : दीगर अहादीस में पाचं नमाजें उनके दरमियान होने वाले गुनाहों के लिये कफ़्फ़ारा है, एक जुम्मा से लेकर दूसरे जुम्मा तक जुम्मा की नमाज़ कफ़्फ़ारा है, और एक रमज़ान से दूसरे रमज़ान तक रमज़ान कफ़्फ़ारा है। अब सवाल यह है कि जब वुजू से गुनाहों का कफ़्फ़ारा हो गया तो नमाज़ से किस चीज का कफ़्फ़ारा होगा ? और जब पांच नमाज़ों से कफ़्फ़ारा हो गया तो जुम्मा की नमाज़ से किस चीज का कफ़्फ़ारा होगा ? और जब जुम्मा से कफ़्फ़ारा हो गया तो रमजान से किस चीज का कफ़्फ़ारा होगा ? इसी तरह अरफा के दिन रोज़ा भी दो साल के गुनाहों का कफ़्फ़ारा है और आशूरा का रोज़ा एक साल का कफ़्फ़ारा है और जब किसी शख्स की आमीन मलाइका की आमीन के मुवाफ़िक हो जाए तो उसके तमाम पिछले गुनाहों की मगफिरत हो जाती है।इस सवाल का उलमा ने यह जवाब दिया है कि यह तमाम इबादात गुनाहों का कफ़्फ़ारा होने की सलाहियत रखती है अगर उसके सगीरा गुनाह हों तो इनसे मगफिरत हो जाती है और अगर उसके सगीरा और कबीरा गुनाह न हों तो उसकी नेकियां लिख दी जाती है और उसके दरजात बुलंद कर दिये जाते है और अगर सगाइर न हो और कबाइर हों तो उम्मीद है कि उसके कबाइर में तख़फ़ीफ़ हो जाए।
(📚 शहरे मुस्लिम शरीफ : 1/ 878)
लिहाजा हमें भी अच्छी तरह वुजू करना और हमेशा बावुजू रहने की कोशिश करनी चाहिये ताकि इसके जरिये हमें बेशुमार फ़ज़ाइल व फवाइद हासिल हो सकें।
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुननेसे ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.93
अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in