*बरकाते शरीअत पोस्ट -009*
🏽 *वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 01*
*🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله*
*🔹ﷺ*
*🏽वुजु के फ़ज़ाइल व मसाइल🏽*
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ क़ुरआने मुक़द्दस में इर्शाद
फ़र्माता है *"ऐ ईमान वालो ! जब तुम नमाज़*
*पढ़ने का इरादा करो तो अपने मुंह और*
*कुहनियों तक हाथों को धोओ, सरों का*
*मसह करो और टखनों तक पावं धोओ।*
फ़र्माता है *"ऐ ईमान वालो ! जब तुम नमाज़*
*पढ़ने का इरादा करो तो अपने मुंह और*
*कुहनियों तक हाथों को धोओ, सरों का*
*मसह करो और टखनों तक पावं धोओ।*
वुजु नमाज़ के लिये इस हद तक जरूरी है कि
नमाज़ की सेहत वुजु के बगैर मूमकिन ही नही
चुनाचे अबू हुरैरा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه ने
हुजूर صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم से रवायत
करते हुए बयान फ़रमाया कि हुजूर रहमते
आलम صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने फ़रमाया
तुम में से किसी की नमाज़ कुबूल नही होगी
जब वह मुहद्दस हो जबतक कि वुजु न करले
नमाज़ की सेहत वुजु के बगैर मूमकिन ही नही
चुनाचे अबू हुरैरा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه ने
हुजूर صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم से रवायत
करते हुए बयान फ़रमाया कि हुजूर रहमते
आलम صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने फ़रमाया
तुम में से किसी की नमाज़ कुबूल नही होगी
जब वह मुहद्दस हो जबतक कि वुजु न करले
* (मुस्लिम शरीफ)*
इसी तरह हजरत उसामा बिन उमैर हुजली
से रवायत है, उन्हों ने कहा कि हुजूर रहमते
आलम صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِ ٖ وَسَلَّم ने इरशाद
फ़रमाया *" अल्लाह तआला किसी नमाज़*
*को बगैर तहारत कुबूल नही फ़रमाता। "*
से रवायत है, उन्हों ने कहा कि हुजूर रहमते
आलम صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِ ٖ وَسَلَّم ने इरशाद
फ़रमाया *" अल्लाह तआला किसी नमाज़*
*को बगैर तहारत कुबूल नही फ़रमाता। "*
*( इब्ने माज़ा : 1/24 )*
मेरे प्यारे आक़ा صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم के
प्यारे दीवानो ! हदस दो तरह के है, एक हदसे
अक्बर, दूसरा हदसे असगर। हदसे अक्बर
वो है जिसकी बिना पर गुस्ल वाजिब हो जाता
है जैसे एहतिलाम होना,जिमाअ करना वगैरा
और हदसे असगर वह है जिस की वजह से
वुजु टूट जाए जैसे हवा ख़ारिज होना, मुंह भर
कै होना वगैरा। पहली हदीस में जो हदस का
जिक्र है उस से मुराद हदसे असगर है यानी
अगर किसी शख्सका वुजु टूट जाए और वह
वुजु किये बगैर नमाज़ अदा करे तो उस की
नमाज़ बारगाहे खुदावंदी में गैर मक़्बूल होती
है क्योंकि नमाज़ के लिये तहारत शर्त है और
जब नमाज़ की सेहत की शर्त ही नही पाई गई
तो नमाज़ सही नही हुई और जब नमाज़
सही नही हुई तो बारगाहे खुदावंदी में कबूल
भी न हो सकेगी।
प्यारे दीवानो ! हदस दो तरह के है, एक हदसे
अक्बर, दूसरा हदसे असगर। हदसे अक्बर
वो है जिसकी बिना पर गुस्ल वाजिब हो जाता
है जैसे एहतिलाम होना,जिमाअ करना वगैरा
और हदसे असगर वह है जिस की वजह से
वुजु टूट जाए जैसे हवा ख़ारिज होना, मुंह भर
कै होना वगैरा। पहली हदीस में जो हदस का
जिक्र है उस से मुराद हदसे असगर है यानी
अगर किसी शख्सका वुजु टूट जाए और वह
वुजु किये बगैर नमाज़ अदा करे तो उस की
नमाज़ बारगाहे खुदावंदी में गैर मक़्बूल होती
है क्योंकि नमाज़ के लिये तहारत शर्त है और
जब नमाज़ की सेहत की शर्त ही नही पाई गई
तो नमाज़ सही नही हुई और जब नमाज़
सही नही हुई तो बारगाहे खुदावंदी में कबूल
भी न हो सकेगी।
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे
*हवाला: बरकाते शरीअत स.84*
अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
*मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी*
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे
*हवाला: बरकाते शरीअत स.84*
अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
*मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी*
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in