Tuesday 9 August 2016

माहे रमजान की वजहे तस्मि, माहे रमज़ान कैसे गुजारे ..? पार्ट -02

👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -02
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

👇🏼 माहे रमजान की वजहे तस्मिया 👇🏼
1⃣ रोज़ा गुनाहों को जला देता हे
2⃣ जब इस माहके नाम रखनेकी बारी आई
तो  सख्त गर्मी थी  इस वजह से  इसका नाम
रमजान रखा गया.
3⃣ रमजान अल्लाह तआलाका एक नाम है
लिहाजा  इस  लिहाज  से  उसे  रमजान नहीं
बल्कि शहरे रमजान यानी अल्लाहका महीना
कहना चाहिये, जैसाकी मरवी है "यह नकहो
की रमजान आया,  रमजान  गया"
बल्कि
यह  कहो  की  माहे  रमजान  आया,  माहे
रमजान गया.
📚 (रुहुल बयान, जिल्द 2 सफा 104)

बुजुर्गाने दीनने फर्मायाकी रमजानके 5 हुर्फहै
👉🏽 (रे) से रजाए इलाही
👉🏽 (मीम) से मगफिरते इलाही
👉🏽 (ज़ुवाद) से झमाने इलाही
👉🏽 (अलिफ़) से उल्फ़ते इलाही
👉🏽 (नून) से नवाल व अताए इलाही
मुराद है,  गोया जिसने  रमजानुल मुबारक में
इबादत की वो इन सारी चीजों का हक़दार है
📚 (नुजहतुल मजालिस 1/581)
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे 
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
    मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे

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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in