*बरकाते शरीअत पोस्ट -004*
🏽 *ईमान का बयान पार्ट 04*
*🔹بسم الله الرحمن الرحيم*
*🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله*
*🔹ﷺ*
*🏽 अक़ीदा*
*अंबिया, मलाइकाके मुताल्लिक़ अकाइद*
*अंबिया, मलाइकाके मुताल्लिक़ अकाइद*
*रसूल:- रसूलके मअना है खुदाए तआला*
*के यहांसे बन्दोंके पास खुदाए तआलाका*
*पैगाम लाने वाला*
*के यहांसे बन्दोंके पास खुदाए तआलाका*
*पैगाम लाने वाला*
*नबी :- वह आदमी है जिस के पास वही*
यानी खुदाए तआला का पैगाम आया लोगों
को खुदाए तआला का रास्ता बताने के लिये
यानी खुदाए तआला का पैगाम आया लोगों
को खुदाए तआला का रास्ता बताने के लिये
🏽 कईनबी और कई फिरिश्ते रसूल है, सब
नबी मर्द ही थे, नकोई जिन नबी हुआ नकोई
औरत नबी हुई।
नबी मर्द ही थे, नकोई जिन नबी हुआ नकोई
औरत नबी हुई।
🏽 नबी व रसूल महज अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ
की महेरबानी से होते है, इसमें आदमी की
कोशिश नहीं चलती,अलबत्ता अल्लाहतआला
नबी या रसूल उसी को बनाता है जिसको वह
इस लाइक पैदा फ़रमाता है।
की महेरबानी से होते है, इसमें आदमी की
कोशिश नहीं चलती,अलबत्ता अल्लाहतआला
नबी या रसूल उसी को बनाता है जिसको वह
इस लाइक पैदा फ़रमाता है।
🏽 जो नबी या रसूल होते है वो पहले से ही
तमाम बुराइयोंसे दूर रहते है, उनमे ऐसी कोई
बात नहीं होती जिस की वजह से लोग उनसे
नफरत करें। सब नबी और तमाम फिरिश्ते
मासूम होते है यानि उनसे कोई गुनाह हो ही
नही सकता।
तमाम बुराइयोंसे दूर रहते है, उनमे ऐसी कोई
बात नहीं होती जिस की वजह से लोग उनसे
नफरत करें। सब नबी और तमाम फिरिश्ते
मासूम होते है यानि उनसे कोई गुनाह हो ही
नही सकता।
🏽 अल्लाह तआला का पैगाम बन्दों तक
पहुचानेमें उनसेकोई भूल,चूक नहीं हो सकती
उनसे भूल चूक होना मुहाल है।
पहुचानेमें उनसेकोई भूल,चूक नहीं हो सकती
उनसे भूल चूक होना मुहाल है।
🏽 नबी -फिरिश्ते के अलावा किसी इमाम
और वली को मासूम मानना गुमराह और बद
मजहबी है। अगर्चे इमाम और वलीयों से भी
गुनाह नही होता। लेकिन कभी गुनाह होजाए
तो शअर्न मुहाल भी नही।
और वली को मासूम मानना गुमराह और बद
मजहबी है। अगर्चे इमाम और वलीयों से भी
गुनाह नही होता। लेकिन कभी गुनाह होजाए
तो शअर्न मुहाल भी नही।
🏽 अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ की तमाम मखलूक
में नबी सबसे अफज़ल होते है।
में नबी सबसे अफज़ल होते है।
🏽 वली कितने ही बड़े रुत्बेवाला क्यों नहो
किसी नबीके बराबर नही हो सकता, जोकोई
किसी भी बन्देको किसी नबीसे अफज़ल, या
बराबर बताए वह गुमराह, बद मजहब है।
किसी नबीके बराबर नही हो सकता, जोकोई
किसी भी बन्देको किसी नबीसे अफज़ल, या
बराबर बताए वह गुमराह, बद मजहब है।
🏽 नबी की ताजीम फर्जे एन बल्कि तमाम
फ़राइजकी अस्ल है, किसी नबीकी अदना सी
तौहीन कुफ़्र है।
फ़राइजकी अस्ल है, किसी नबीकी अदना सी
तौहीन कुफ़्र है।
🏽 तमाम अंबिया عَلَئهِ السَّلَام अपनी-
अपनी कब्रों में दुनियावी जिन्दगी की तरह
आजभी जिन्दा है, अल्लाह तआला का वादा
है *कुल्लू नफसी ........मौत* के पूरा होने के
खातिर एकलम्हा केलिये उन्हें मौतआई, फिर
अल्लाह ने अपनी क़ुदरते कामिला से उन्हें
जिन्दा फरमा दिया। उन की जिन्दगी शहीदों
की जिन्दगी से बहुत बढ़कर है।
अपनी कब्रों में दुनियावी जिन्दगी की तरह
आजभी जिन्दा है, अल्लाह तआला का वादा
है *कुल्लू नफसी ........मौत* के पूरा होने के
खातिर एकलम्हा केलिये उन्हें मौतआई, फिर
अल्लाह ने अपनी क़ुदरते कामिला से उन्हें
जिन्दा फरमा दिया। उन की जिन्दगी शहीदों
की जिन्दगी से बहुत बढ़कर है।
*🏽 बाकि आइन्दा कल 🏽*
*(हवाला) बरकाते शरीअत*
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
*मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी*
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
*मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी*
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in