👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -06
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله
🔹ﷺ
👇🏼 शैतान क़ैद में 👇🏼
हजरत अबूहुरैरा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه से
रिवायत है हुजूर صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने
इर्शाद फर्माया, "जब माहे रमज़ान आता है
तो आसमानके दरवाजे खोल दिये जातेहैं
जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं
और शैतानो को क़ैद कर दिया जाता है."
📚 (बुखारी शरीफ,255/1)
मेरे प्यारे आका صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم के
प्यारे दिवानो ! इस हदीष में इस बात का भी
बयान है कि शैतानो को रमज़ान के महीने
मे क़ैद कर दिया जाता है, इस पर सवाल
पैदा होताहै कि जब शैतानोको क़ैद कर दिया
जाता है, फिर क्यों लोग रमज़ान के महीने
में गुनाह करते हैं ? इस सवालके मुतअद्दिद
जवाबात दिये गए हैं :
1⃣ अव्वल : ये कि बड़े बड़े शयातीन को
क़ैद करदिया जाताहै और छोटे छोटे शैतान
खुले फिरते हैं, जिनकी वजह से लोग गुनाह
करते हैं, जैसा कि दूसरी हदीषमें इर्शाद हुआ:
“सरकश और बड़े बड़े शयातीन क़ैद कर
दिए जाते हैं।
2⃣ दौम : ये कि गुमराह करने वाला एक
खारजी शैतान और एक दाखली शैतान है
जिसको उर्दू मे हमज़ाद कहेते हैं, खारजी
शैतानको कैद कर दिया जाताहै, दाखली
शैतानको क़ैद नहीं किया जाताहै जिसकी
वजह से लोग गुनाह में मुबतिला रहेते हैं।
3⃣ सौम: येकी शैतानके 11माह बहकाने
और वसाविसका अषर ईस कद्र रासिख हो
जाता है की 1माहकी गैर हाजरीसे कोई फर्क
नहीं पड़ता और लोग ब दस्तूर बुराई और
गुनाह में मुबतिला रहेते हैं।
.....
4⃣ चहारूम : बुराई में मशगूल लोगों को
कम अज़ कम ईस माहमें तो यह तस्लीम कर
लेना चाहिए कि उनकी गलतकारियों और
बेराह रवियों में शैतान के वस वसे से ज्यादा
खूद उनकी ज़ात और बुरे ईरादोंका दखल
हैं, क्योंकि ईस माहमें जब शयातीन मुक़य्यद
कर दिए जातेहैं और वोलोग फिरभी बुराइयों
और बुरे कामों से बाज़ नहीं आते, हद तो यह
है कि बाज़ जगहों पर रात भर जूआ और
लहवो लईब ( खेल-कूद ) का बाज़ार गर्म
होता है (जैसेकि रमज़ान इसी लिए आया
हो ! ) और सहरी के फौरन बाद लोग ख्वाबे
गफलत का शिकार होकर नमाज़े फज्र को
भी तर्क कर देते हैं ! लिहाजा उन की बुराई
और बुरे कामों के वह खूद जिम्मेदार हैं ।
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
पूरा पढ़ने के लिए ये वेबसाइट ओपन करे www.SDITeam.blogspot.in
Copy Paste करके Share करे इल्मे दिन आम करे
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🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله
🔹ﷺ
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हजरत अबूहुरैरा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه से
रिवायत है हुजूर صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने
इर्शाद फर्माया, "जब माहे रमज़ान आता है
तो आसमानके दरवाजे खोल दिये जातेहैं
जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं
और शैतानो को क़ैद कर दिया जाता है."
📚 (बुखारी शरीफ,255/1)
मेरे प्यारे आका صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم के
प्यारे दिवानो ! इस हदीष में इस बात का भी
बयान है कि शैतानो को रमज़ान के महीने
मे क़ैद कर दिया जाता है, इस पर सवाल
पैदा होताहै कि जब शैतानोको क़ैद कर दिया
जाता है, फिर क्यों लोग रमज़ान के महीने
में गुनाह करते हैं ? इस सवालके मुतअद्दिद
जवाबात दिये गए हैं :
1⃣ अव्वल : ये कि बड़े बड़े शयातीन को
क़ैद करदिया जाताहै और छोटे छोटे शैतान
खुले फिरते हैं, जिनकी वजह से लोग गुनाह
करते हैं, जैसा कि दूसरी हदीषमें इर्शाद हुआ:
“सरकश और बड़े बड़े शयातीन क़ैद कर
दिए जाते हैं।
2⃣ दौम : ये कि गुमराह करने वाला एक
खारजी शैतान और एक दाखली शैतान है
जिसको उर्दू मे हमज़ाद कहेते हैं, खारजी
शैतानको कैद कर दिया जाताहै, दाखली
शैतानको क़ैद नहीं किया जाताहै जिसकी
वजह से लोग गुनाह में मुबतिला रहेते हैं।
3⃣ सौम: येकी शैतानके 11माह बहकाने
और वसाविसका अषर ईस कद्र रासिख हो
जाता है की 1माहकी गैर हाजरीसे कोई फर्क
नहीं पड़ता और लोग ब दस्तूर बुराई और
गुनाह में मुबतिला रहेते हैं।
.....
4⃣ चहारूम : बुराई में मशगूल लोगों को
कम अज़ कम ईस माहमें तो यह तस्लीम कर
लेना चाहिए कि उनकी गलतकारियों और
बेराह रवियों में शैतान के वस वसे से ज्यादा
खूद उनकी ज़ात और बुरे ईरादोंका दखल
हैं, क्योंकि ईस माहमें जब शयातीन मुक़य्यद
कर दिए जातेहैं और वोलोग फिरभी बुराइयों
और बुरे कामों से बाज़ नहीं आते, हद तो यह
है कि बाज़ जगहों पर रात भर जूआ और
लहवो लईब ( खेल-कूद ) का बाज़ार गर्म
होता है (जैसेकि रमज़ान इसी लिए आया
हो ! ) और सहरी के फौरन बाद लोग ख्वाबे
गफलत का शिकार होकर नमाज़े फज्र को
भी तर्क कर देते हैं ! लिहाजा उन की बुराई
और बुरे कामों के वह खूद जिम्मेदार हैं ।
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in