Wednesday 17 August 2016

इत्तेबाऐ सुन्नत की जरूरत पार्ट 08, हिदायत का जरिया, बरकाते सुन्नते रसूल पोस्ट -008

 *बरकाते सुन्नते रसूल पोस्ट -008*
👉🏽 *इत्तेबाऐ सुन्नत की जरूरत पार्ट 08*


*🔹بسم الله الرحمن الرحيم*
*🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله*
*🔹ﷺ*
         *👇🏽 हिदायत का जरिया 👇🏽*

हिदायत सही रास्ते को कहते है, जिसे हिदायत
मिल गई उसे अल्लाह की मारिफत मिल गई।
इत्तेबाए रसूल, अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ की मारिफत
का जरिया है।  चुनांचे  फरमाने खुदावंदी है :
*तो ईमान लाओ अल्लाह और उसके रसूल*
*बे  पढ़े  गैब बताने वाले  पर  कि अल्लाह*
*और उस की बातों पर ईमान लाते है और*
*उन की गुलामी करो  कि तुम राह पाओ।*
मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो ! इस आयत में फरमा दिया गया
अगर हिदायत चाहते हो तो रसूल की इत्तेबाअ
करो, उन की पैरवी करो,  उन की सुन्नतों पर
अमल करो,  उनके अख़लाक़ व  किरदार की
रौशनी में अपनी जिन्दगी गुजारो। अगर ऐसा
करोगेँ तो  हिदायत  पा जाओगे,  सही रास्ता
पा जाओगे, एसा रास्ता जो जन्नत की तरफ
ले जाता है। इसलिये रसूल की पैरवी करो कि
इसी में दीन व दुनिया की भलाई है।
ऊपर गुजरी हुई आयतों के  इलावा और  भी
आयतें है जो इताअते रसूल की फजीलत और
अहमियत को जाहिर करती है और हुक्मेरसूल
से गर्दन मोड़ने पर वईद व अज़ाब सुनाती है।
खुसुसन  इन  आयतों  से  मुदंरजा  जैल  चंद
अहम बातें मालूम होती है।
➡ जिसतरह अल्लाह की इताअत फर्जे ऐन
है उसीतरह हुजूरصَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّمकी
इताअत भी फर्जे ऐन है।
➡ रसूल की  पैरवी  ईमान की  निशानी है।
रसूलकी पैरवी रहमते खुदावंदी का सबब है।
➡ हुक्मेखुदा व रसूल पहूंचने केबाद उससे
मुंह  मोड़ने  की  कोई  सबील  रवा  नहीं।
➡ क़ुर्आन  व हदीस के एहकाम पर अमल
न करते हुए खलजानमें पड जाना इन्सान को
बुजदिल बना देता है।
➡ इताअते रसूल भी नमाज़ व जकात की
अदायगी  की  तरह  अहम  है।
➡ रसूल की  इत्तेबाअ  करने वाले  के लिये
हमेशगी  की  जन्नत  है।
➡ रसूल की  पैरवी करने वाला  दारैन की
कामयाबी  से  हम  किनार  होता  है।
➡ दुनिया में  रसूल की  इताअत  करने पर
बतौर इनाम मैदाने महशरमें अंबिया, सिद्दीकन
शोहदा, सालेहीन का साथ मयस्सर आता है।
➡ रसूल की  इताअत करना  दर  हक़ीक़त
अल्लाह  की  इताअत  करना  है।
➡ रसूल के  हुक्म से  मुंह मोड़ना  दर्दनाक
अजाब  का  बाइस  है।
➡ रसूल की  इताअत  मुहब्बते  खुदा  की
रौशन दलील है।.....इस लिये हमें हर हाल में
रसूले  आज़म  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  की
इताअत  व  फरमां  बरदारी  करनी  चाहिये।
आपका बताया हुआ रास्ता अपनाना चाहिये।
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
*📚हवाला: बरकाते सुन्नते रसूल स.69*
               *-: हस्बे फरमाइश :-*
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  *मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी*
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
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1 comment:

किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in