Tuesday 9 August 2016

🏼 नूर का शहर , माहे रमज़ान कैसे गुजारे ..? पार्ट -09

👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -09
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

             👇🏼 नूर का शहर 👇🏼
नबीए करीमصَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّمने इर्शाद
फरर्माया,  " जो  शख्स   माहे  रमज़ा-नुल
मुबारक   में   ईबादत   पर    ईस्तिक़ामत
ईख्तियार करता है  अल्लाह तआला उसे
हर रकात पर नूरका 1 शहर ईनाम देगा।"

         👇🏼 बख्शिश का ज़िम्मा 👇🏼
नबीए करीमصَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّمने इर्शाद
फरर्माया,  " जो  शख्स   माहे  रमज़ा-नुल
मुबारक में  अपने वालिदैन की  खिदमत
अपनी   इस्तिता-अत  के  मुताबिक  सर
अंजाम देता है  अल्लाह  तआला उस पर
खुसूसी  नज़रे  रहमत  फर्माता है, "  और
"उसकी बख्शिस का  मैं ज़िम्मा लेता हूँ।"
और "जो औरत  माहे रमज़ान मुबारक में
अपने  खाविंद ( सोहर ) की रजाजोई  में
मशरुफ  रहती  है  अल्लाह तआला  उसे
जन्नत  में  मरयम رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه‍َا
व  आसिया  رَضِىَ  اللّٰه ُ تَعَالٰى  عَنٔه‍َا की
मईयत (साथ) अता फर्माएगा।"
📚 (नुज़हतुल मजालिस, 1/577)
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे 
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
    मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे

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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in