Tuesday 9 August 2016

🏼माहे रमज़ान कि बेहूर्मती कि सज़ा , माहे रमज़ान कैसे गुजारे ..? पार्ट -12

👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -12
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

👇🏼माहे रमज़ान कि बेहूर्मती कि सज़ा
क़यामतके दिन एक शख्स को ऐसी हालत में
लाया जाएगाके फरिश्ते उसको खूब मारपीट
रहे होंगे।,
हुजूर  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم से
वो सहारा तलाश करेगा आप उनसे दरयाफ्त फर्माऐन्गे, उसका क्यागुनाह हैं कि ईतना मार
रहे हो ? 
 वह कहेंगे उसने माहे रमज़ा -नुल
मुबारक को पाया मगर फिर भी  अल्लाह
तआला  कि  नाफरमानी पर  डटा  रहा।
हुज़ूर सिफारिश करना चाहेंगे तो हुक़्म होगा,
मेरे हबीब! صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ईसका
दावा  तो  माहे  रमज़ान  ने  किया  है, , ,
आप صَلَّى  اللّٰهُ  عَلَئه ِٖ وَسَلَّم  फर्माऐन्गे
जिसका दावेदार माहे रमज़ान है मैं उससे
बेज़ार हूँ।
📚(नुजहतुल मजालिस, सफा 580)

ऐ  खालिक़े  अर्ज़  व  समा  ! अपने
महबूब صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم के सदक़े
हमें  माहे रमज़ान का  एहतराम करने की
तौफीक़ अता फरर्मा  और हर उस फेअल से
बचा  जो  माहे  रमज़ान  की  बेहूर्मती  का
सबब  बने।  आमीन सुम्मा आमीन
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे 
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
    मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे

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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in