Tuesday 9 August 2016

सहाबा को मुबारक बाद देते , माहे रमज़ान कैसे गुजारे ..? पार्ट -14

👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -14
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

  👇🏼 सहाबा को मुबारक बाद देते 👇🏼
जब येमुक़द्दस व मुबारक माह अपनी रहमतों
केसाथ सायाफगन होता तो गमखवारे उम्मत
सफी ए रहमत  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  को
उसकी  आमद की  मुबारक बाद देते,  चुनांचे
इमाम अहमद  और इमाम  निसाई ने  हजरत
अबू हुरैरा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔهसे आपका
मुबारक मामूल इन अल्फ़ाज़में नकल कियाहै
"हुजूर   صَلَّى   اللّٰهُ  عَلَئهِٖ  وَسَلَّم   अपने
सहाबा को ये कहते हुए मुबारक बाद देते
कि तुम  पर  रमजान का  महीना  जलवा
फगन  हुआ है  जो  निहायत  बा बकर्त है
उस के  रोज़े   तुम  पर  अल्लाह  ने  फर्ज
फर्माया है, इसमें जन्नत के दरवाजे खोल
दिये जाते है और दोजख के दरवाजे बन्द
कर दिये  जाते है,  शैतानों को बांढ  दिया
जाताहै, इसमें 1 रात है जो हजार महीनो
से अफज़ल है, जो इससे महरूम हो गया
वह महरूम ही रहेगा
इमाम जलालुद्दीन सियुती और शेख इब्ने
रजब رَحٔمَة ُاللّٰهِ تَعَالٰى عَلَئهِ कहते  है
मसआला ए मुबारक बाद के लिये यह हदीस
बुनियादहै "रमजानुल मुबारककी मुबारक
बाद पेश करने पर यह हदीस अस्ल है"
📚 (अलहावी लिलफतवा, 1/193)

मेरे प्यारे आका  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो !  वह माह मोमिनो के लिये क्यो
मुबारक बादका सबब न होगा जिसमे जन्नत
के दरवाजे  खुल जाए,  शैतान पर  पाबंदिया
लगजाए और दोजखके दरवाजे बन्दकर दिये
जाए, लिहाजा हमे भी  अदा ए सुन्नत की
निय्यतसे इस्लामी भाइयो, दोस्त, एहबाब
को मुबारक बाद पेश करना चाहिए
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे 
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
    मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे

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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in