👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -15
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله
🔹ﷺ
माहे रमजान को खुश आमदीद कहते
सहाबाको मुबारकबाद और उसकीअहमियत
वाजेह करने के साथ साथ रमजानुल मुबारक
को खुश आमदीद फरमाते, कन्जुल उम्माल
और मजमउज् जवाईद मैं है, आप फरमाते
" लोगो ! तुम्हारे पास रमजान तमाम
महीनो का सरदार आ गया, हम उसे
खुश आमदिद कहते है."
📚 (मजमउज् जवाईद, 3/140)
आमदे रमज़ान पर ख़ुत्बा इर्शाद फर्माते
जिस दिन माहे रमजानुल मुबारक का चाँद
तुलूअ होने की उम्मीद होती और शाबान का
आखरी दिन होता तो आप मस्जिदे नबवी में
सहाबा ए किराम को जमा फरमा कर ख़ुत्बा
इरर्शाद फरमाते जिसमे रमजानुल मुबारक के
फज़ाइल, वजाइफ व एहमियत को उजागर
फर्माते ताकिउसके शब व रोज़से खूबफायदा
उठाया जाए और उसमे गफलत हरगिज न
बरती जाए, उसके एक एक लम्हाको गनीमत
जाना जाए. हजरत अबू हुरैरा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه ने आपके इस अहम मामूल को
अपने अल्फाज़ में बयान किया है :- " जब
रमजानुल मुबारकका माह आता तोआप
फरमाया करते, तुम्हारे पास एक मुक़द्दस माह की आमद हो गई."
📚 ( मुस्तदे अहमद, 3/158 )
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
👉🏽 #पार्ट -15
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله
🔹ﷺ
माहे रमजान को खुश आमदीद कहते
सहाबाको मुबारकबाद और उसकीअहमियत
वाजेह करने के साथ साथ रमजानुल मुबारक
को खुश आमदीद फरमाते, कन्जुल उम्माल
और मजमउज् जवाईद मैं है, आप फरमाते
" लोगो ! तुम्हारे पास रमजान तमाम
महीनो का सरदार आ गया, हम उसे
खुश आमदिद कहते है."
📚 (मजमउज् जवाईद, 3/140)
आमदे रमज़ान पर ख़ुत्बा इर्शाद फर्माते
जिस दिन माहे रमजानुल मुबारक का चाँद
तुलूअ होने की उम्मीद होती और शाबान का
आखरी दिन होता तो आप मस्जिदे नबवी में
सहाबा ए किराम को जमा फरमा कर ख़ुत्बा
इरर्शाद फरमाते जिसमे रमजानुल मुबारक के
फज़ाइल, वजाइफ व एहमियत को उजागर
फर्माते ताकिउसके शब व रोज़से खूबफायदा
उठाया जाए और उसमे गफलत हरगिज न
बरती जाए, उसके एक एक लम्हाको गनीमत
जाना जाए. हजरत अबू हुरैरा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه ने आपके इस अहम मामूल को
अपने अल्फाज़ में बयान किया है :- " जब
रमजानुल मुबारकका माह आता तोआप
फरमाया करते, तुम्हारे पास एक मुक़द्दस माह की आमद हो गई."
📚 ( मुस्तदे अहमद, 3/158 )
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in