Tuesday 9 August 2016

🏼रोज़ा साईन्स की नज़र में , माहे रमज़ान कैसे गुजारे ..? पार्ट -17

👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -17
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

      👇🏼रोज़ा साईन्स की नज़र में👇🏼
हकीम मुहम्मदतारिक़ महमूद चुगताई अपनी
तस्नीफ “ सुन्नते नबवी व जदीद साईन्स ” में
रक़मतराज़ हैं
प्रोफेसर मोरपार्ल्डओक्सफोर्ड
युनिवर्सिटी की  पहचान हैं,  उनहों  ने  अपना
वाक़िआ बयान किया:
की मैंने ईस्लामी उसूल
का मुताला किया और रोज़ेके बाब (Topic)
पर पहुँचा तो चौंक पड़ा  कि ईस्लाम ने अपने
मानने वालों के  लिए कितना अज़ीम फॉर्मूला
(Formula) दिया है !  अगर ईस्लाम  अपने
मानने वालों को  और कुछ न देता सिर्फ यही
रोज़ेका  फॉर्मूला ( Formula ) ही  देता तो
फिर भी ईस से बढ़कर उनके पास और कोई
नेअमत  न  होती।   मैंने  सोचा  कि   ईस को
आज़माना चाहिए।
फिर मैंने रोज़े मुसलमानों
के तर्ज़ पर रखना शुरू कर दिए। मैं अरस ए
दराज़   ( लम्बे  समय )  से  मेअदे  के   वरम
Stomatch Inflammation की  बिमारी
में मुबतिला था।  कुछ  दीनों  के बाद ही  मैंने
महसूस कियाकि ईसमे कमी वाक़ेअ होगई है
मैंने  रोज़ो की  मश्क़  जारी  रखी,  फिर  मैंने
जिस्म में  कुछ और  तबदीली भी महसूस की
और  कुछ अरसा बाद  मैंने अपने  जिस्म को
नॉर्मल (Normal) पाया।  हत्ता कि  मैंने एक
माह (One Month)के बाद अपने जिस्मके
अंदर ईन्क़ीलाबी तबदीली महसूस की।
📚(बहवाला सुन्नतेनबवी व जदीद साईन्स)

मुसलमानों  ज़रा  गौर तो करो !
जब रोज़ा गैरों को इतने सारे जिस्मानी व
दुनियवी फाएदों से मालामाल कर देता है
तो हम तो अल्हम्दुलिल्लाह साहिबे ईमान
है, ईन्शाअल्लाह ! अगर हम रोज़ेकी कद्र
करेंगे तो दुनियाके साथ साथ आखिरतमें
भी कामयाब नज़र आयेंगे।
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे 
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
    मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे

पूरा पढ़ने के लिए ये वेबसाइट ओपन करे www.SDITeam.blogspot.in
Copy Paste करके Share करे इल्मे दिन आम करे 

No comments:

Post a Comment

किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in