Tuesday 9 August 2016

रोज़ा और पॉप एफ़. गाल का तजजिया, माहे रमज़ान कैसे गुजारे ..? पार्ट -18

👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -18
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

 रोज़ा और पॉप एफ़. गाल का तजजिया

पॉप एफ़. गाल  यह हॉलैन्ड का  बड़ा पादरी
गुज़रा है। उसने रोज़ेके बारेमें अपने तजुर्बात
यूँ बया किये है “मैं अपने रूहानी पैरोकारों
को हर  माह (Every Month) तीन  रोज़े
रखनेकी तलक़ीन करता हूँ मैंने ईस तरीके
कार के  ज़रिया जिस्मानी  और  वज़नी  हम-
आहंगी  महसूस  की।  मेरे  मरीज़  मुज़  पर
मुसलसल ज़ोर देते हैं  कि मैं उन्हें  कुछ और
तरीक़ा बताऊं लेकिन... मैंने ये उसूल वाज़ेअ
करलिया है कि ईनमें वोमरीज़ जोलाईलाज हैं
उनको तीन यौम नहीं बल्कि एक माह (One
Month) तक रोज़े रखवाए जाए। (ईज़न्)

अफसोस !  गैरों को तो रोज़े की अहेमियत
समज़ में आ गई  लेकिन  मुसलमान  अब भी
ईससे गाफिल नज़र आ रहे है।
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे 
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
    मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे

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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in