Tuesday 9 August 2016

सहर क्या है ?, माहे रमज़ान कैसे गुजारे ..? पार्ट -20

👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -20
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

            
👉🏽 सहर क्या है ? 👈🏽
 👇🏼वक्ते सहर (सहेरी) गिर्या व ज़ारी👇🏼
अल्लाहतबारक व तआलाने कलामे मजीदमें
इरर्शाद फरर्माया “और पिछले पहर  माफी
मांगने वाले” बाज़ मुफ़स्सिरीनने फर्मायाकि
ईस आयात से नमाज़े तहज्जूद  पढ़ने वाले
मुरादहैं और बाज़के नज़दीक इससे वह लोग
मुराद हैं  जो सुबह उठ कर  इस्तिग्फ़ार  पढे।
चूंकि  उस वक़्त  दुनियावी शोर कम होता है,
दिल को  सुकून  होता है,  रहमते  ईलाही का
नुजूल होता है  इस लिए  उस वक़्त  तौबा व
इस्तिग्फ़ार,  दुआ  वगैरा  बहेतर है।
 सहर के
वक़्त  तौबा व इस्तिग्फ़ार  करना  अल्लाह के
बरगुजीदा  बंदो कि  आदते  करीमा  रही  है।
रोजाना कि मस्रूफियतों कि वजहसे हमें सहर
के वक़्त उठने का मौका नहीं मिलता कि हम
उसवक़्त बारगाहे समदियतमें इस्तिग्फ़ार करें
लेकिन  माहे  रमज़ानुल  मुबारक  में  रोजाना
सहरीके लिए हम बेदार होते हैं तोहमे चाहिए
कि हम कम अज़ कम 2 रकअत नफ़्ल  अदा
करके बारगाहे रब्बुल इज़्ज़त में  सर बसजूद
हो जाए और इस्तिग्फ़ार करके सहर के वक़्त
मगफिरत तलब करनेवालोंमें सामिल होजाए
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे 
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
    मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in