Tuesday 9 August 2016

तौबा और दुआ कि कबूलियत के अवक़ात , माहे रमज़ान कैसे गुजारे ..? पार्ट -21

👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -21
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

                 तौबा और दुआ कि
             कबूलियत  के  अवक़ात
मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दिवानो ! साल भरमें बाज़ अवक़ात ऐसे
होतेहैं जब अल्लाहकी रहमत पुकारती है कि
“ है कोई पुकारने वाला कि उसकी पुकार
सुनी  जाए !   है  कोई  मांगने  वाला   कि
उसका दामने मक़सूद भर दिया जाए !”
तोअगर कोई बंदा इन अवक़ातमें दुआ करता
है तो उसकी दुआ बारगाहे यज़दी में मक़बूल
हो जातीहै रातका पिछला पहर जिसे उमूमन
तहज्जूदका वक़्त कहा जाता है उस वक़्तभी
अल्लाह तबारक  व तआला  अपने  बंदो कि
दुआकुबूल फर्माता है और येवक़्त कुबूलियते
दुआ का खास वक़्त है।
जैसा कि अल्लाहके
प्यारे हबीब साहिबे लौलाक صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने इर्शाद फर्माया, अल्लाह तबारक व
तआला  रात  के  आखरी  तिहाई  हिस्से  में
आसमाने दुनियाकी तरफ मुतवज्जह होताहै
और  फरमाता  है,
“ है  कोई  मांगने  वाला
जिसको  मैं  अता  करूँ !   है  कोई  दुआ
करनेवाला जिसकी दुआ मैं कुबूल करूँ !
है कोई  बख्शिश तलब करने वाला जिसे
मैं बख्श दूँ ! हत्ता कि सुबह हो जाती है।“
लिहाज़ा सहेरी के वक़्त अपने और दुनियाके
तमाम  मुसलमानो के  लिए भलाई कि  दुआ
जरूर करे।
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे 
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
    मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in