Tuesday 9 August 2016

🏼इफतार के वक़्त दुआ का एहतेमाम, माहे रमज़ान कैसे गुजारे ..? पार्ट -25

👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -25
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

👇🏼इफतार के वक़्त दुआ का एहतेमाम👇🏼
मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दिवानो !  ये कभी आपने सोचा की बंदा
पांचो  वक़्त  नमाज़ के  बाद दुआ  करता  है,
जुम्अतुल मुबारक की नमाज़ और बड़ी रातों
में दुआकरताहै लेकिन दुआकी कुबूलियतका
जो यक़ीन और एहतेमाम माहेरमज़ान शरीफ
में इफतार के  वक़्त होता है  वह  किसी और
वक़्त में नहीं होता। आप देखते होंगे कि एक
रोज़ादार तिजारतकी मंडीमें अगर बैठा है तो
वो इफतारसे चंद मिनिट पहले सबकाम छोड़
कर निहायत ही खुशूअ और खुजूअ के साथ
मसरूफे दुआ हो जाता है।  ईसी तरह घरों में
ख़वातीन  और  बच्चे, आखिर वक्ते  इफतार
दुआका इतना एहतेमाम क्यूँ किया जाता है?
वजह  ज़ाहिर है  कि सुबह सादिक  से लेकर
गुरुब  आफताब तक  खशिय्यते  रब्बानी के
तसव्वुर में  डूब  कर बंदे ने  अपने  वजूद को
तीन चीजोंसे रोक रखाहै, जोसिर्फ और सिर्फ
अल्लाह कि रज़ा कि ख़ातिर और अल्लाहके
खौफ कि  वजह से  उसके एहकाम कि बजा
आवरी में  बंदा इखलास के  साथ  यह वक़्त
गुजारताहै ईसी लिए बंदेको पूरा यक़ीन होता
है कि मैंने फर्माबरदारी में कोई कमी नहीं की तो अब इफतार के वक़्तमें जोभी दुआ अपने
रबसे करूंगा मौला ज़रूर कुबूल फरमाएगा।
जैसा कि  हुज़ूर  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  ने
इर्शाद फर्माया,  तीन आदमियों कि  दुआ रद
नहीं कि जाती,
1) रोज़ादार कि इफतारी के वक़्त,
2) आदिल बादशाह कि और
3) मज़लूम कि दुआ।
📚(तिर्मिज़ी शरीफ व ईब्ने माजह)
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे 
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
    मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in