Tuesday 9 August 2016

🏼रोज़ादार का इस्तक़बाल , माहे रमज़ान कैसे गुजारे ..? पार्ट -34

👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -34
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

      👇🏼रोज़ादार का इस्तक़बाल👇🏼
जब क़यामत में अल्लाह तआला एहले कुबूर
को कब्रो से उठने का हुक्म देगा तो मलाईका
को फर्माएगा
“ ए रिजवान !  मेरे रोज़ेदारों
से आगे  चलकर  मिलो क्योंकि  वह मेरी
खातिर भूखे, प्यासे रहे। अब तुम बहिश्त
कि  ख्वाहिशात कि  तमाम अश्या  लेकर
उनके पास पहुँच जाओ।  उसके बाद वह
रिजवान  ज़ोर से  पुकार  कर  कहेगा,  ए
जन्नत  के  गिलमान  व वलदान !  नूर के
बड़े बड़े थाल  लाओ !  उसमें  दुनिया कि
रेतके क़तरात, बारिश की बुंदों, आसमान
के सितारों और दरख्तों के पत्तोंके बराबर
मेवाजात व खाने पीने की लज़ीज़ अश्या
जमा कर के रोज़ादारों के सामने  रख दी
जाएंगी और उनसे कहा जाएगा, जितनी
मर्ज़ी हो खाओ पियो,  यह उन  रोज़ों की
जज़ा है जो तुमने दुनिया में रखे।”
📚 (रूहुल बयान, 2/108)
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे 
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
    मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in