👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -35
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله
🔹ﷺ
👇🏼एक अजीबुल खिल्क़त फरिश्ता👇🏼
हुजूरे पाक صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने इर्शाद
फर्माया, मैंने शबे मेअराज में सिदरतुल
मुन्तहा पर एक फरिश्ता देखा जिसे मैंने
इससे क़ब्ल नहीं देखा था,
उसके तूल व अर्ज़
की मुसाफत लाखसालके बराबरथी उसके
सत्तरहज़ार (70,000) सरथे और हरसरमें
सत्तर हज़ार (70,000) मुंह और हरमुंहमें
सत्तर हज़ार (70,000) ज़बानेंऔर हरसर
पर सत्तरहज़ार (70,000)नूरानी चोटियाँ
थीं और हर चोटी के सर पर बाल में लाख
लाख मोती लटके हुए थे, हर एक मोती के
पेट के अंदर बहुत बड़ा दरिया है और हर
दरियाके अंदर बहुतबड़ी मछलियाँ हैंऔर
हर मछलीका तूल 2 सालकी मुसाफतके
बराबर और हर मछली के पेट में लिखा है
_“ ला ईलाहा ईल्लल्लाहु
मुहम्मदूर रसुलुल्लाह ”_
और उस फरिश्तेने अपनासर अपने एक हाथ
पर रखा है और दूसरा हाथ उसकी पीठपर है
और वह “ हज़िरतुल कुद्स ” यानी बहिश्त
में है जब वो अल्लाहकी तस्बीह पढ़ता है तो
उसकी प्यारी आवाज़ से अर्शे ईलाही खुशी में
ज़ूम उठता है। मैंने जिब्रईल عَلَئهِ السَّلَام से
उसके मुतअल्लिक़ पूछातो उन्होने अर्ज़कीया
कि वह फरिश्ता है जिसे अल्लाह तआला
ने आदम عَلَئهِ السَّلَام से दो हज़ार साल
पहले पैदा किया था। फिर मैंनेकहा, उसकी
लंबाई और चोड़ाई कहा तक है ? जिब्रईल ने
अर्ज़कीया, अल्लाह तआला ने बहिश्तमें एक
चरागाह बनाई है और यह उसी में रहता है।
उस फरिश्ते को अल्लाह तआला ने हुक्म
फर्माया है कि “वह आपके और आपकी
उम्मत के हर उस शख्स के लिए तस्बीह
पढ़े जो रोज़ा रखते है।”
मैंने उस फरिश्ते
के आगे दो संदूक़ देखे और दोनों पर हज़ार
नूरानी ताले थे।
मैंने पूछा जिब्रईल ! यह क्या
है ? उन्होने कहा, ईस फरिश्ते से पूछिए ?
मैंने उस अजीब व गरीब फरिश्ते से पूछा कि
यह संदूक़े कैसी हैं ? उसने जवाब दिया कि
उसमें आपकी रोज़ा रखनेवाली उम्मत के
बारात (छुटकारा) का ज़िक्र है। आपको
और आप की उम्मत के रोज़ा रखने
वालों को मुबारक !
📚 (रुहुल बयान, 3/108)
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
पूरा पढ़ने के लिए ये वेबसाइट ओपन करे www.SDITeam.blogspot.in
Copy Paste करके Share करे इल्मे दिन आम करे
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🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله
🔹ﷺ
👇🏼एक अजीबुल खिल्क़त फरिश्ता👇🏼
हुजूरे पाक صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने इर्शाद
फर्माया, मैंने शबे मेअराज में सिदरतुल
मुन्तहा पर एक फरिश्ता देखा जिसे मैंने
इससे क़ब्ल नहीं देखा था,
उसके तूल व अर्ज़
की मुसाफत लाखसालके बराबरथी उसके
सत्तरहज़ार (70,000) सरथे और हरसरमें
सत्तर हज़ार (70,000) मुंह और हरमुंहमें
सत्तर हज़ार (70,000) ज़बानेंऔर हरसर
पर सत्तरहज़ार (70,000)नूरानी चोटियाँ
थीं और हर चोटी के सर पर बाल में लाख
लाख मोती लटके हुए थे, हर एक मोती के
पेट के अंदर बहुत बड़ा दरिया है और हर
दरियाके अंदर बहुतबड़ी मछलियाँ हैंऔर
हर मछलीका तूल 2 सालकी मुसाफतके
बराबर और हर मछली के पेट में लिखा है
_“ ला ईलाहा ईल्लल्लाहु
मुहम्मदूर रसुलुल्लाह ”_
और उस फरिश्तेने अपनासर अपने एक हाथ
पर रखा है और दूसरा हाथ उसकी पीठपर है
और वह “ हज़िरतुल कुद्स ” यानी बहिश्त
में है जब वो अल्लाहकी तस्बीह पढ़ता है तो
उसकी प्यारी आवाज़ से अर्शे ईलाही खुशी में
ज़ूम उठता है। मैंने जिब्रईल عَلَئهِ السَّلَام से
उसके मुतअल्लिक़ पूछातो उन्होने अर्ज़कीया
कि वह फरिश्ता है जिसे अल्लाह तआला
ने आदम عَلَئهِ السَّلَام से दो हज़ार साल
पहले पैदा किया था। फिर मैंनेकहा, उसकी
लंबाई और चोड़ाई कहा तक है ? जिब्रईल ने
अर्ज़कीया, अल्लाह तआला ने बहिश्तमें एक
चरागाह बनाई है और यह उसी में रहता है।
उस फरिश्ते को अल्लाह तआला ने हुक्म
फर्माया है कि “वह आपके और आपकी
उम्मत के हर उस शख्स के लिए तस्बीह
पढ़े जो रोज़ा रखते है।”
मैंने उस फरिश्ते
के आगे दो संदूक़ देखे और दोनों पर हज़ार
नूरानी ताले थे।
मैंने पूछा जिब्रईल ! यह क्या
है ? उन्होने कहा, ईस फरिश्ते से पूछिए ?
मैंने उस अजीब व गरीब फरिश्ते से पूछा कि
यह संदूक़े कैसी हैं ? उसने जवाब दिया कि
उसमें आपकी रोज़ा रखनेवाली उम्मत के
बारात (छुटकारा) का ज़िक्र है। आपको
और आप की उम्मत के रोज़ा रखने
वालों को मुबारक !
📚 (रुहुल बयान, 3/108)
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
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अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in