Tuesday 9 August 2016

🏼ज़कात से मुतअल्लिक मसाईल, माहे रमज़ान कैसे गुजारे ..? पार्ट -37

👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -37
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

 👇🏼ज़कात से मुतअल्लिक मसाईल👇🏼

👉🏾वो माल जो तिजारतके लिए रखाहुआ है
उसे देखा जाए कि उस की किंमत, साड़े सात
तोला सोना  या  साड़े  बावन  टोला चांदी  के
बराबर हो तो  उसे माले तिजारत की ज़कात
अदा करना फर्ज़ है,  माले तिजारत से  मुराद
हर  क़िस्म का  सामान है  ख़्वाह  वह  गल्ला
वगैरहके जिन्ससेहो या मवेशी,घोड़े, बकरियाँ
गाय वगैरा, अगरयह अशिया बगर्जे तिजारत
रखी हुई हैं तो पूरासाल गुजरनेके बाद उनकी
ज़कात अदा करना फर्ज़ है।

👉🏾 अगर माले तिजारत बक़दरे निसाब नहीं
है।  लेकिन  सोना चाँदी  और  नक़द  रूपिया
मौजूद है  तो  उन सब  को  मिलाया  जाएगा
अगर उनका मजमुआ बक़दरे निसाब होजाए
तो उस पर ज़कात फर्ज़ है वरना नहीं।

ज़कातके मुतअल्लीक ज़रूरीमसाईल अगली
पोस्टमे दिए जाएँगे तब तकके लिए जुड़े रहे।

📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे 
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
    मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
पूरा पढ़ने के लिए ये वेबसाइट ओपन करे www.SDITeam.blogspot.in
Copy Paste करके Share करे इल्मे दिन आम करे 

No comments:

Post a Comment

किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in