👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -38
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله
🔹ﷺ
👉🏾जो मकानात या दुकानें किराएपर देरखी
हैं तो उन पर ज़कात नहीं लेकिन उनका
किराया जमा करने के बाद अगर ब क़दरे
निसाब हो जाए तो उस पर साल गुजरने के
बाद ज़कात फर्ज़ है। हाँ ! अगर मालिक
पहले ही मालिके निसाब है तो किराया उसी
निसाबमें शामिल होगा, किराया की आमदनी
काअलाहिदा निसाब शुमार नहीं कियाजाएगा
ईसलिए जबपहले निसाबपर साल गुज़रजाए
तो किराए की रकम भी उस निसाब में मिला
कर ज़कात अदा की जाएगी।
👉🏾 दुकानों में माले तिजारत रखने के लिए
शो केस, तराजु, अलमारियाँ वगैरा... निज
इस्तेमाल के लिए फर्नीचर, सर्दी -गरमी से
बचाव के लिए हीटर, ऐरकंडीशन वगैरा और
ऐसी चिजें जो खरीद व फरोख्त में सामान के
साथ नहीं दीजाती बल्कि खरीद व फरोख्तमें
उनसे मदद ली जाती हो तो उन पर ज़कात
फर्ज़ नहीं, क्यों कि यह तिजारत में हवाईजे
असलिया में शामिल हैं।
ज़कातके मुतअल्लीक ज़रूरीमसाईल अगली
पोस्टमे दिए जाएँगे तब तकके लिए जुड़े रहे।
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
पूरा पढ़ने के लिए ये वेबसाइट ओपन करे www.SDITeam.blogspot.in
Copy Paste करके Share करे इल्मे दिन आम करे
👉🏽 #पार्ट -38
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله
🔹ﷺ
👉🏾जो मकानात या दुकानें किराएपर देरखी
हैं तो उन पर ज़कात नहीं लेकिन उनका
किराया जमा करने के बाद अगर ब क़दरे
निसाब हो जाए तो उस पर साल गुजरने के
बाद ज़कात फर्ज़ है। हाँ ! अगर मालिक
पहले ही मालिके निसाब है तो किराया उसी
निसाबमें शामिल होगा, किराया की आमदनी
काअलाहिदा निसाब शुमार नहीं कियाजाएगा
ईसलिए जबपहले निसाबपर साल गुज़रजाए
तो किराए की रकम भी उस निसाब में मिला
कर ज़कात अदा की जाएगी।
👉🏾 दुकानों में माले तिजारत रखने के लिए
शो केस, तराजु, अलमारियाँ वगैरा... निज
इस्तेमाल के लिए फर्नीचर, सर्दी -गरमी से
बचाव के लिए हीटर, ऐरकंडीशन वगैरा और
ऐसी चिजें जो खरीद व फरोख्त में सामान के
साथ नहीं दीजाती बल्कि खरीद व फरोख्तमें
उनसे मदद ली जाती हो तो उन पर ज़कात
फर्ज़ नहीं, क्यों कि यह तिजारत में हवाईजे
असलिया में शामिल हैं।
ज़कातके मुतअल्लीक ज़रूरीमसाईल अगली
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📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in