👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -39
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله
🔹ﷺ
👇🏼ज़कात से मुतअल्लिक मसाईल👇🏼
👉🏾 मोती और जवाहेरातपर ज़कात वाजिब
नहीं अगरचे हजारोंके हों ! हां अगर तिजारत
की नियतसे ली है तो ज़कात वाजिब होगई।
👉🏾 साल गुजरने से मुराद कमरी साल है
यानी चांदके महीनों से बारामहीने, अगर शुरू
साल और आखिर साल में निसाब कामिल है
और दरम्यान साल में निसाब नाक़िस भी हो
गया हो तो भी ज़कात फर्ज़ है।
👉🏾 ज़कात देतेवक़्त या ज़कातके लिए माल
अलाहिदा करते वक़्त ज़कात की नियत शर्त
है। नियत के ये माअना हैं की अगर पूछाजाए
तो बिला ताम्मुल बता सके कि ज़कात है।
👉🏾 साल भर तक खैरात करता रहा अब
नियत की जो कुछ दिया है ज़कात है, तो
ज़कात अदा न होगी, माल को ज़कात की
नियत से अलाहिदा कर देने से बरीउज़्ज़िम्मा
न होगा जब तक कि फकीर को न दे दे,
यहाँ तक कि वह जाता रहा तो ज़कात
साक़ीत न हुई।
ज़कातके मुतअल्लीक ज़रूरीमसाईल अगली
पोस्टमे दिए जाएँगे तब तकके लिए जुड़े रहे।
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
👉🏽 #पार्ट -39
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله
🔹ﷺ
👇🏼ज़कात से मुतअल्लिक मसाईल👇🏼
👉🏾 मोती और जवाहेरातपर ज़कात वाजिब
नहीं अगरचे हजारोंके हों ! हां अगर तिजारत
की नियतसे ली है तो ज़कात वाजिब होगई।
👉🏾 साल गुजरने से मुराद कमरी साल है
यानी चांदके महीनों से बारामहीने, अगर शुरू
साल और आखिर साल में निसाब कामिल है
और दरम्यान साल में निसाब नाक़िस भी हो
गया हो तो भी ज़कात फर्ज़ है।
👉🏾 ज़कात देतेवक़्त या ज़कातके लिए माल
अलाहिदा करते वक़्त ज़कात की नियत शर्त
है। नियत के ये माअना हैं की अगर पूछाजाए
तो बिला ताम्मुल बता सके कि ज़कात है।
👉🏾 साल भर तक खैरात करता रहा अब
नियत की जो कुछ दिया है ज़कात है, तो
ज़कात अदा न होगी, माल को ज़कात की
नियत से अलाहिदा कर देने से बरीउज़्ज़िम्मा
न होगा जब तक कि फकीर को न दे दे,
यहाँ तक कि वह जाता रहा तो ज़कात
साक़ीत न हुई।
ज़कातके मुतअल्लीक ज़रूरीमसाईल अगली
पोस्टमे दिए जाएँगे तब तकके लिए जुड़े रहे।
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in