👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -40
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله
🔹ﷺ
👇🏼ज़कात से मुतअल्लिक मसाईल👇🏼
👉🏾 ज़कात का रूपिया मुर्दा कि तजहिज़ व
तकफीन या मस्जिद कि तामीर में नहीं सर्फ
कर सकते कि फकीर को मालिक बनाना न
पाया गया। अगर इन उमूरमें खर्च करना चाहे
तो उसका तरीक़ा ये है कि फकीरको मालिक
कर दें और वह सर्फकरे और षवाब दोनों को
होगा, बल्कि हदीष पाक में है अगर सौ हाथों
में सदका गुज़रा तो सब को वैसा ही षवाब
मिलेगा जैसा देने वाले के लिए, और उसके
अज्र में कुछ कमी न होगी।
👉🏾 ज़कात देने में ये जरूरी नहीं कि फकीर
को ज़कात कह कर दे बल्कि सिर्फ नियते
ज़कात काफी है। यहां तक कि हिबा या कर्ज़
कह कर दे और नियत ज़कात की हो तो भी
अदा हो जाएगी।
👉🏾 यूं ही नज़र, हदिया, ईदी या बच्चों की
मिठाई खाने के नामसे दी तब भी अदा होगई
बाज़ मोहताज ज़रूरतमंद ज़कातका रूपिया
नहीं लेना चाहते उन्हें ज़कात कह कर दिया
जाएगा तो नहीं लेंगे लिहाजा ज़कात का
लफ्ज न कहे।
👉🏾 सोने, चांदीके अलावा तिजारत की कोई
चीज़ हो जिसकी किंमत सोने या चांदी के
निसाब को पहुँचे तो उस पर भी ज़कात
वाजिब है। यानी किंमत के चालीस वें हिस्से
पर ज़कात वाजिब है।
ज़कातके मुतअल्लीक ज़रूरीमसाईल अगली
पोस्टमे दिए जाएँगे तब तकके लिए जुड़े रहे।
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
पूरा पढ़ने के लिए ये वेबसाइट ओपन करे www.SDITeam.blogspot.in
Copy Paste करके Share करे इल्मे दिन आम करे
👉🏽 #पार्ट -40
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله
🔹ﷺ
👇🏼ज़कात से मुतअल्लिक मसाईल👇🏼
👉🏾 ज़कात का रूपिया मुर्दा कि तजहिज़ व
तकफीन या मस्जिद कि तामीर में नहीं सर्फ
कर सकते कि फकीर को मालिक बनाना न
पाया गया। अगर इन उमूरमें खर्च करना चाहे
तो उसका तरीक़ा ये है कि फकीरको मालिक
कर दें और वह सर्फकरे और षवाब दोनों को
होगा, बल्कि हदीष पाक में है अगर सौ हाथों
में सदका गुज़रा तो सब को वैसा ही षवाब
मिलेगा जैसा देने वाले के लिए, और उसके
अज्र में कुछ कमी न होगी।
👉🏾 ज़कात देने में ये जरूरी नहीं कि फकीर
को ज़कात कह कर दे बल्कि सिर्फ नियते
ज़कात काफी है। यहां तक कि हिबा या कर्ज़
कह कर दे और नियत ज़कात की हो तो भी
अदा हो जाएगी।
👉🏾 यूं ही नज़र, हदिया, ईदी या बच्चों की
मिठाई खाने के नामसे दी तब भी अदा होगई
बाज़ मोहताज ज़रूरतमंद ज़कातका रूपिया
नहीं लेना चाहते उन्हें ज़कात कह कर दिया
जाएगा तो नहीं लेंगे लिहाजा ज़कात का
लफ्ज न कहे।
👉🏾 सोने, चांदीके अलावा तिजारत की कोई
चीज़ हो जिसकी किंमत सोने या चांदी के
निसाब को पहुँचे तो उस पर भी ज़कात
वाजिब है। यानी किंमत के चालीस वें हिस्से
पर ज़कात वाजिब है।
ज़कातके मुतअल्लीक ज़रूरीमसाईल अगली
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📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in