👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -44
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله
🔹ﷺ
👇🏼ऐ’तिकाफ का बयान👇🏼
मेरे प्यारे आक़ा صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم के
प्यारे दिवानो ! अल्लाह तबारक व तआला ने
इन्सानों को महज़ अपनी ईबादतके लिए पैदा
फर्माया जैसा कि खूद अल्लाह का फर्मान है “मैंने जिन्न व इन्सान को सिर्फ
अपनी इबादत के लिए पैदा फर्माया।”
माहे रमज़ानुल मुबारक में जहां हमें और
दीगर इबादतों का एहतिमाम करना है वहीं
ईस ऐ’तिकाफ करनेकी भी कोशिश करनी है
हम ऐ’तिकाफ के हवाले से चंद बातें तहरीर
कर रहे हैं ताकि उसके पढ़ने के बाद दिलों में
ऐ’तिकाफ करने का जज़बा पैदा हो
👇🏼नबीए कौनो मकां का मामूल👇🏼
हज़रत इब्ने उमर رَضِىَ اللّٰه ُ تَعَالٰى عَنٔه
फरर्माते हैं कि रसूलुल्लाह صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم रमज़ानके आखरी अशरेमें ऐ’तिकाफ
फर्माते थे। नाफेअ कहते हैं कि हज़रत
अब्दुल्लाह बिनउमर رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه
ने मुजे वह जगह दिखाई जहां रसूलुल्लाह صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ऐ’तिकाफ करते थे।
📚 (ईज्न-371)
हज़रत आईशा सिद्दीक़ा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔهَا बयान फरर्माती हैं “रसूलुल्लाह صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم रमज़ानुल मुबारक के
आखरी दस दिनमें ऐ’तिकाफ कियाकरते
थे यहां तककी रफीक़े आ’ला से जामिले
📚 (बुखारी शरीफ, 1/271)
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
👉🏽 #पार्ट -44
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام عليكيارسولالله
🔹ﷺ
👇🏼ऐ’तिकाफ का बयान👇🏼
मेरे प्यारे आक़ा صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم के
प्यारे दिवानो ! अल्लाह तबारक व तआला ने
इन्सानों को महज़ अपनी ईबादतके लिए पैदा
फर्माया जैसा कि खूद अल्लाह का फर्मान है “मैंने जिन्न व इन्सान को सिर्फ
अपनी इबादत के लिए पैदा फर्माया।”
माहे रमज़ानुल मुबारक में जहां हमें और
दीगर इबादतों का एहतिमाम करना है वहीं
ईस ऐ’तिकाफ करनेकी भी कोशिश करनी है
हम ऐ’तिकाफ के हवाले से चंद बातें तहरीर
कर रहे हैं ताकि उसके पढ़ने के बाद दिलों में
ऐ’तिकाफ करने का जज़बा पैदा हो
👇🏼नबीए कौनो मकां का मामूल👇🏼
हज़रत इब्ने उमर رَضِىَ اللّٰه ُ تَعَالٰى عَنٔه
फरर्माते हैं कि रसूलुल्लाह صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم रमज़ानके आखरी अशरेमें ऐ’तिकाफ
फर्माते थे। नाफेअ कहते हैं कि हज़रत
अब्दुल्लाह बिनउमर رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه
ने मुजे वह जगह दिखाई जहां रसूलुल्लाह صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ऐ’तिकाफ करते थे।
📚 (ईज्न-371)
हज़रत आईशा सिद्दीक़ा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔهَا बयान फरर्माती हैं “रसूलुल्लाह صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم रमज़ानुल मुबारक के
आखरी दस दिनमें ऐ’तिकाफ कियाकरते
थे यहां तककी रफीक़े आ’ला से जामिले
📚 (बुखारी शरीफ, 1/271)
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in