Tuesday 9 August 2016

फजाइले शबे क़द्र (लैलतुल क़द्र), माहे रमज़ान कैसे गुजारे ..? पार्ट -47

👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -47
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

फजाइले शबे क़द्र (लैलतुल क़द्र)

मेरे प्यारे आक़ा صَلَّى اللّٰه ُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दिवानो ! शबे क़द्र की फजीलत कुर्आन
व  हदीष से  सराहतन  षाबित  है।  शबे क़द्र
अज़मत व तक़दीस, फजाइल व कमालातका
मख़ज़न  है,  शबे  क़द्र  को  तमाम  रातों  पर
फोक़ियत हासिलहै क्योंकि ईस रातमें रहमते
ईलाही का  नुजूल होता है और  शबे क़द्र की
एहमियत  का  अंदाज़ा  ईस से  बखूबी  लगा
सकते हैं  कि  खालिके  लैल व नहार  जल्ला
जलालहू  ने  उसकी  तारीफ  व  तौसीफ  में
मुकम्मल सूरत नाज़िल फर्माई है, इर्शाद होता है “ बेशक !  हमने उसे शबे क़द्र में उतारा
और  तुमने क्या  जाना  क्या  शबे  क़द्र ?
शबे क़द्र  हज़ार महीनों से  बेहतर,  ईसमें
फरिश्ते और जिब्रईल उतरते हैं अपने रब
के   हुक्म  से   हर   काम  के  लिए,   वह
सलामती  है,  सुबह  चमकने  तक। ”
📚(सूरह क़द्र, पारा 30, कन्ज़ुल ईमान)

              👇🏼वज़हे तस्मिया👇🏼
मुफ़स्सिरे शरीह  हज़रत अल्लामा पीर करम
शाह अज़हरी  ईमाम ज़हरी का  क़ौल नक़ल
करते   हुए   रकमतराज़  हैं :   ईसका   नाम
“ लैलतुल क़द्र ” अज़मत और शराफत कि
वजहसे रखा गयाहै। क्योंकि आमालेसालिहा
अल्लाह के नज़दीक बाईज़्ज़त होते हैं।

अल्लामा करतबी ने  ईस रात को  “लैलतुल
क़द्र” कहने की वजह यूं बयान की है : “उसे
शबे क़द्र व  मंज़िलत वाली किताब,  बड़े
क़द्र व मंज़िलत वाले रसूल पर और बड़ी
क़द्र  व  मंज़िलत  वाली  उम्मत  के  लिए
नाज़िल फर्माई।”
📚 (ज़ियाउल कुर्आन)

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त  हमें लैलतुल क़द्र की
अज़मत समजनेकी औरउसमे भरपुर ईबादत करने की तौफीक नसीब फर्माए।
आमीन सुम्मा आमीन
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे 
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
    मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in