Tuesday 9 August 2016

🏼शबे क़द्र अहादीष के आईने में, माहे रमज़ान कैसे गुजारे ..? पार्ट -48

👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -48
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

   👇🏼शबे क़द्र अहादीष के आईने में👇🏼

हज़रत अबू हुरैरा रदीयल्लाहु अन्हु फर्माते हैं
कि  रसुलूल्लाह  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  ने
इरर्शाद फरर्माया
“ जो शबे क़द्र में ईमान व
यक़ीन  के  साथ  क़याम  करे  तो  उसके
पिछले गुनाह बख़्श दिए जाते है।”
(बुखारी,1/255, मुस्लिम)

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दिवानो !  ईस हदीष शरीफ का  मतलब
यह है  कि जो शख्स  महज़ षवाब कि नियत
और अल्लाहकी रज़ाके लिए क़यामकरे यानि
नवाफ़िल, तिलावत,ज़िक्र व अजकार वगैरामें
मशरूफ़ रहे तो खुदाए गफ्फार ऐसे शख्सके
पिछले गुनाहे सगाईर को  माफ फर्मा देता हैं,
और रहे गुनाहे कबाईर तो यह बगैर तौबा के
माफ नहीं होते।
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे 
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
    मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in