Tuesday 9 August 2016

🏼शबे क़द्र क्यों अता हुई, माहे रमज़ान कैसे गुजारे ..? पार्ट -51

👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -51
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

        👇🏼शबे क़द्र क्यों अता हुई👇🏼
मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दिवानो !  शबे क़द्र  अता किए  जाने के
बारे में कई रिवायतें मिलती हैं।

एक रिवायत  मैं  है  कि  हुज़ूर नबी ए कौनेन
साहिबे क़ाब कौसेन صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم
ने इरर्शाद फरर्माया  कि बनी ईसराईल में एक
शमऊन  नामी  आबिद थे।  जिन्हों  ने 1000
माह (महीने) अल्लाहकी राहमें जिहाद किया
और ईबादत की। ईसपर सहाबाए किराम को
तअज्जुब  हुआ  और  कहा कि  फिर  हमारे
आमालकि क्या हैसियत है ? ईसपर अल्लाह
तआलाने ईस उम्मतको एक रात अता फर्माई
जो उस गाज़ी कि मुद्दते ईबादत से बेहतर है।
📚 (तफ़सीरे सावी)

ईसी सिलसिले में एक और रिवायत अल्लामा
करतबी रहमतुल्लाह अलैय ने मोअत्ता ईमाम
मालिक के  हवाले  से  तहरीर  फरर्माया  कि
रसुलुल्लाह  صَلَّى  اللّٰهُ  عَلَئهِٖ  وَسَلَّم   को
पिछली उम्मतों की  उमरें दिखाई गई, आपने
देखाकी उनके मुक़ाबिलमें आपकी उम्मतकी
उमरें कम हैं  ईस से आपको खौफ  हुआ कि
मेरी उम्मतके आ’माल ऊन उम्मतोंके आमाल
तक न पहुँच  सकेंगे,  तो अल्लाह तआला ने
आपको शबे क़द्र लैलतुल क़द्र अता फरर्माई
जो ऊन उम्मतों के 1000 माह की ईबादत से
बेहतर  है।  जैसा  की  अल्लाह  तबारक  व
तआला का इर्शाद है:
“ शबे  क़द्र  हज़ार  महीनों  से  बेहतर ”
📚(सूरह क़द्र, पारा 30, कन्ज़ुल ईमान)

ईसीतरह एक और रिवायत हज़रतअली बिन
अरवा से है  कि  एक दिन रसुलुल्लाह صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  ने  बनी ईसराईल  के  चार
अशखास का ज़िक्र फर्माया जिन्होंने अल्लाह
की 80 साल ईबादत की  और उनकी ज़िंदगी
का एक  लम्हा भी अल्लाह कि  नाफर्मानी में
नहीं  गुज़रा,  आपने  ईन  चार  अशखास  में
हज़रत  अय्यूब,  हज़रत  हिजकील,  हज़रत
यूशअ व हज़रत ज़करिया अलयहीमुस्सलाम
का ज़िक्र फरर्माया,  रसुलुल्लाह صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के  सहाबा  को  यह  सुन  कर
तअज्जुब  हुआ  तो  जिब्रईले عَلَئهِ السَّلَام
नाज़िल हुए और अर्ज़ किया, “या रसुलुल्लाह صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ! आपकी उम्मतको
ऊन  लोगों  की   80  साल  की   ईबादत  से
तअज्जुब हुआ, अल्लाह तआला ने आप पर
ईससे  बेहतर  चीज़  नाज़िल  कर दी है  और
सूरए क़द्र पढ़ी  और कहा,  यह उस  चीज़ से
अफज़ल है  जिस पर आपको और  आपकी
उम्मत को तअज्जुब हुआ था।
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे 
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
    मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in