Tuesday 9 August 2016

लैलतुल क़द्र और फरिश्तों का नुज़ूलई, माहे रमज़ान कैसे गुजारे ..? पार्ट -52

👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -52
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

   लैलतुल क़द्र और फरिश्तों का नुज़ूल

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दिवानो ! सूरए क़द्र  मे अल्लाह तआला
ने इर्शाद फर्माया : ईस रात फरिश्ते और रूह
आसमानसे ज़मीन पर उतरते हैं। शबे क़द्र में
सारे फरिश्ते नाज़िल होते हैं या उनमें से बाज़
ईस सिलसिले में  मुफ़स्सिरिने किराम के चंद
अकवाल हैं।  बाज़ का यह कहना है कि सारे
फरिश्ते  नाज़िल  होते है  और बाज़  का यह
कहना है  कि  उनमें से  बाज़ नाज़िल  होते हैं
और  बाज़  का  यह   कहना  है  कि  हज़रत
जिब्रईल عَلَئهِ السَّلَام सिदरतुल  मुन्तहा के
सारे फरिश्तों के साथ नाज़िल होते हैं।

नुज़ूले मलाईका के  हवाले से हदीषे  पाक में
भी ज़िक्र है। जैसा कि हज़रत अनस رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه से मरवी है कि नबीए करीम صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने इरर्शाद फरर्माया
“लैलतुल क़द्रको जिब्रीले अमीन फरिश्तों
के एक जम्मे गफीर  के साथ  ज़मीन  पर
उतरते  हैं  और  मलाईका का  यह गिरोह
हर उस बंदेके लिए दुआए मगफिरत और
इल्तिजाए  रहमत  करता है जो  खड़े  या
बैठे अल्लाह सुब्हानहू तआलाके ज़िक्र में
मशगूल होता है। ”

एक रिवायत में है  कि जब शबे क़द्र आती है
तो हज़रत सैयदना जिब्रईल عَلَئهِ السَّلَامके
साथ वह फरिश्ते भी उतरते हैं  जो सिदरतुल
मुन्तहा पर रहनेवाले हैं। और वह अपने साथ
चार झंडे लाते हैं, एक गुंबदे खिजरापर नसब
करते हैं, एक बैतुल मुक़द्दस की छत पर, एक
मस्जिदे हराम काबतुल्लाह की छत पर नसब
करते है और एक तूरे सिना (पहाड़) के ऊपर
और  हर  मोमिन  मर्द व  औरत  के  घर  पर
तशरीफ ले जाते हैं और उन्हें सलाम कहते हैं
ईस  रहमत  से   शराबी,  क़ातेए  रहम   और
सूद खाने वाले महरूम रहते हैं।
*(सावी बहवाला मताअए आखिरत)*1
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे 
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
    मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in