Tuesday 9 August 2016

शबे क़द्र (लैलतुल क़द्र) और एक अजीबुल खिल्क़त फरिश्तेकानुज़ूलई, माहे रमज़ान कैसे गुजारे ..? पार्ट -53

👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -53
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ


          शबे क़द्र (लैलतुल क़द्र) और
एक अजीबुल खिल्क़त फरिश्तेकानुज़ूल

साहिबे तफ़सीरे रूहुलबयान तहरीर फर्मातेहैं
कि “एक फरिश्ता ऐसाहै कि जीसका सर
अर्श  के  नीचे  है  और  दोनों  पाँव  सातों
ज़मीनों की जड़ो में, उस के 1000 सर हैं
और  हर सर आलमे दुन्या से बड़ा है और
हर सर  में 1000 चेहरे  और हर  चेहरे में
1000 मुँह, हर  मुँह में 1000 ज़बानें, हर
ज़बान से  1000  क़िस्म  की  तस्बीह  व
तहमीद  पढ़ता  है,
 हर  ज़बान की  बोली
दूसरी ज़बान  से नहीं मिलती, वह मुँह से
ज़बान खोलता है तो तमाम आसमान के
फरिश्ते उसके डर से सजदा रेज़ हो जाते
हैं  कि कहीं  उसके चहरे के  अन्वार उन्हें
जला न दें।  हर सुब्ह  व शाम  ईन तमाम
मुँहों से अल्लाह की तस्बीह करता है।
यह फरिश्ता शबे क़द्र में ज़मीन पर उतर
कर  रसूले अकरम  नूरे मुजस्सम صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّمकी उम्मतके एहले ईमान रोज़ादार मर्दो और औरतों के लिए तुलूए
फज्र तक इस्तिगफार करता है। ”
📚 (रूहुल बयान)
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे 
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
    मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
पूरा पढ़ने के लिए ये वेबसाइट ओपन करे www.SDITeam.blogspot.in
Copy Paste करके Share करे इल्मे दिन आम करे 

No comments:

Post a Comment

किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in