Tuesday 9 August 2016

🏼ईद के दिन ईन बातों से परहेज़ करें, माहे रमज़ान कैसे गुजारे ..? पार्ट -56

👉🏽 माहे रमज़ान कैसे गुजारे ? ? ? 👈🏽
👉🏽 #पार्ट -56
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

 🏼ईद के दिन ईन बातों से परहेज़ करें🏼

अब  हम  चंद  ऐसी  चीजों  का  ज़िक्र  करने
जा रहे हैं जो हमारे मुआशरे में राईज हैं मगर शरीअत की नज़र में ईसको करना किसी तौर
पर दुरुस्त नहीं हैं बल्कि दुन्या व आखिरत में
तबाही का सबब है
👉🏾 ईद  का  दिन  आने  पर  आम  तौर  पर
मुसलमान सिनेमा, ड्रामा, सर्कस  वगैरा देखने जाते हैं।
👉🏾 बाज़ मुसलमान ईद के दिन शराब नोशी,
जुआ वगैरा खेलते हैं।
👉🏾 बाज़ जगहों  पर  गाने  वगैरा  लगा कर
लड़कों के साथ साथ लड़कियां भी नाचती हैं
👉🏾 बाज़जगहोंपर पटाखे वगैराफोड़े जातेहैं
👉🏾 बाज़  लोग  गैर मुस्लिमों  की  बाक़ायदा
एहतेमामके साथ दावत करते हैं और उन्हेंभी
अपने  ईस  मुक़द्दस  तहवार में शरीक करना
चाहते हैं !
👉🏾 बाज़ जगहों पर बाक़ायदा TV लगाकर
लोगों को जमा  करके लोग फिल्म  देखते है।
मआज़ल्लाह

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे   दिवानो !   मज़कूरा  कामों  को  करना
सरासर  अल्लाह तआला  और उसके हबीब صَلَّى اللّٰهُ  عَلَئهِٖ وَسَلَّم  की  नाराजगी  का
सबब  हैं,   मज़कूरा  अफआले   मजमूमा  व
क़बीहा के  ईर्तिकाब से  हम हरगिज़  फलाहे
दारैनकी अबदी सआदतोंको हासिल नहीं कर
सकेंगे। फलाह व कामयाबी तो अल्लाह और
उसके  रसूल  صَلَّى  اللّٰهُ عَلَئهِٖ  وَسَلَّم  की
ईताअत व फर्माबर्दारी में है।

रब्बे  क़दीर  जल्ल  जलालहू की  बारगाह में
दुआ है  कि हम सब को  अपने हबीब صَلَّى  اللّٰهُ  عَلَئهِٖ  وَسَلَّم  की  प्यारी  सुन्नतों  पर
अमल करने की तौफीक़ अता फर्माए।
आमीन सुम्मा आमीन
📚 (हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे 
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
    मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
पूरा पढ़ने के लिए ये वेबसाइट ओपन करे www.SDITeam.blogspot.in
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in