Saturday 20 August 2016

रौज़ए रसूल ﷺ पर ह़ाज़िरी

रौज़ए रसूल  पर ह़ाज़िरी
🌹हुज़ूर पुरनूर صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم के रौज़ा ए पाक पर ह़ाज़िर होने का ये अहम मसअला ज़ेहन में रखे!

➡जब आप रौज़ए रसूल पर ह़ाज़िर हो जाओ तो वहा अदब का खास तौर पर खयाल रखना क्यूंकि वहां पर आवाज़ को बुलन्द करना भी बे अदबी में शुमार होता हैं!
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•–⚀•RєԲ:➻┐📚(बहारे शरीअ़त में हैं:-)

अगर मदीना शरीफ़ की ह़ाज़िरी नसीब हो और रौज़ए मुबारक की ज़ियारत की दौलत मिल जाए तो रौज़े के सामने चार हाथ के फासले से अदब के साथ हाथ बांधकर (जैसे नमाज़ में खड़े होते हैं) खड़ा होकर सर झुकाए हुए सलातो सलाम अ़र्ज़ करे! बहुत क़रीब ना जाए और ना ही इधर उधर देखे और ख़बरदार ख़बरदार कभी आवाज़ बुलन्द ना करना क्यूंकि उम्र भर का सारा किया धरा अकारत (बेकार) जाएगा!
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               📗(बहारे शरीअ़त, ह़िस्सा-1)

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ले सांस भी आहिस्ता के ये दरबारे नबी हैं
खतरा हैं बहुत सख़्त यहां बे अदबी का
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➡अक्सर कुछ लोगों को देखा गया हैं कि वो जब मदीना मुनव्वरा जाते हैं और रौज़ए रसूल पर ह़ाज़िर होते हैं तो वहां अदब का खास ख़याल नही करते!
उस मुक़द्दस दरबार में ह़ाज़िर होने वाले बताते हैं की जहां उस दरबार का अदब करना बहुत बहुत ज़रूरी हैं वहां कुछ लोग बे अदबी से बाज़ नही आते हैं और आज के दौर की सबसे बड़ी बे अदबी मोबाइल के ज़रीए से हो रही हैं!
कोई अपने या अपने साथ वालों के फोटो ले रहा हैं तो कोई अपनी Selfie लेने में इस क़दर मश्गूल हो जाता हैं कि उसे ये भी ख़याल नही रहता कि वो रौज़ा ए मुबारक की त़रफ़ बे वजह पीठ करके खडा हैं, और कोई वहां पर बे अदबी से पैर पसारे लेट जाता हैं तो कोई बे अदबी से बैठा होता हैं, अल्लाह عَزَّوَجَلَّ ख़ैर करे!

➡मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के प्यारे दीवानो !  रौज़ए मुबारक पर हाज़िरी की सआ़दत ज़िन्दगी में बार बार नही मिलती!
उस पाक जगह पर जाकर फ़ुज़ूल कामों में वक़्त गंवाकर बे अदबों में शुमार होने के बजाए उन मुक़द्दस लम्हों में दुरूदो सलाम अ़र्ज़ करे और अपने और अपने अहलो इयाल के लिए दुआ़ए कर के अपनी आखिरत सवारें!

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अरे ओ ना समझ कुरबान हो जा उनके रौज़े पर
ये लम्हें ज़िन्दगी में बार बार आया नही करते
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➡ह़ाजियों से ये मुअद्दबाना इल्तिजा हैं कि आप जब भी मदीना मुनव्वरा पहुंचे तो रौज़ा ए पाक पर ह़ाज़िर होकर वहां पर रो रोकर उम्मते मुस्लिमा के ह़क़ में दुआ़ करे!
और हमको भी अपनी मख़्सूस दुआ़ओं में याद रखे!
👏🏼अल्लाह عَزَّوَجَلَّ तमाम हाजियों का ह़ज क़बूल फ़रमाए!
🌺आमीन🌺

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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in